बसंत पंचमी 2025: तिथि, महत्व और पूजन विधि सब कुछ जानिए

हिन्दू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को पूजना बहुत शुभ है। 2025 में 2 फरवरी, रविवार को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। भारत, नेपाल और कई अन्य देशों में यह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।

बसंत पंचमी 2025 की तिथि व शुभ मुहूर्त

घटनातिथि और समय
बसंत पंचमी की तिथि शुरू1 फरवरी 2025, रात्रि 02:41 बजे
बसंत पंचमी की तिथि समाप्त2 फरवरी 2025, रात 12:09 बजे
पूजन का शुभ मुहूर्तप्रातः 07:00 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है)

बसंत पंचमी का महत्व?

बसंत पंचमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि मौसम बदलने का भी संकेत है। इस दिन से शीत ऋतु का असर कम होने लगता है और प्रकृति में एक नया जीवन आने लगता है। इस दिन, शिक्षा, कला और संगीत क्षेत्र में काम करने वाले लोग माँ सरस्वती की आराधना करते हैं।

सरस्वती पूजा की विधि?

  1. प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
  2. माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  3. माँ को पीले फूल, अक्षत (चावल), हल्दी, केसर, फल एवं मिठाई अर्पित करें।
  4. माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और सरस्वती वंदना एवं मंत्रों का जाप करें।
  5. प्रसाद वितरण कर पूजा संपन्न करें।

बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व?

पीला रंग ज्ञान, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने, पीले फूल चढ़ाने और केसर-युक्त मिठाइयाँ खाने का विशेष महत्व है।

बसंत पंचमी से जुड़े अनुष्ठान और परंपराएँ

  • इस दिन छोटे बच्चों के लिए ‘अक्षरारंभ’ संस्कार किया जाता है, जिसमें उन्हें पहली बार लिखना सिखाया जाता है।
  • विद्यार्थी माँ सरस्वती से विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा करते हैं।
  • कई स्थानों पर पतंग उड़ाने की परंपरा भी इस दिन मनाई जाती है।

निष्कर्ष

बसंत पंचमी माँ सरस्वती की पूजा का पर्व नहीं है; यह ऋतु बदलने का भी संकेत है। इस दिन सरस्वती, विद्या, संगीत, कला और ज्ञान की देवी की पूजा करने से जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है। बसंत पंचमी 2025 को उत्साह और श्रद्धा से मनाएँ और माँ सरस्वती से आशीर्वाद लें।

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