
पथरी होने का कारण आमतौर पर पित्ताशय में पित्त से संबंधित समस्याओं के कारण होता है, जो पित्त (Bile) के असामान्य रूप से संकुचित होने या गाढ़े होने से होती है। यह पित्ताशय में ठोस टुकड़ों के रूप में जमा हो सकता है, जो पथरी (Stones) का रूप लेते हैं। पथरी के दो प्रमुख प्रकार होते हैं—कोलेस्ट्रॉल पथरी और पिगमेंट पथरी। आइये जानते हैं की पथरी होने के क्या कारण हैं और इसके क्या उपाय हैं –
पथरी (stones) होने के कारण
पित्त (Bile) का गाढ़ा होना- जब शरीर में पित्त की अत्यधिक मात्रा होती है, तो पित्ताशय में यह गाढ़ा हो जाता है और पथरी का रूप ले लेता है।
कोलेस्ट्रॉल- शरीर में कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से यह पित्ताशय में पथरी बना सकता है।
हर्मोनल में बदलाव- महिलाओं में गर्भावस्था, ओवेरियन हॉर्मोन के बदलावों के कारण पथरी की संभावना बढ़ सकती है।
आहार और जीवनशैली- अधिक वसा या कोलेस्ट्रॉल से भरपूर आहार का सेवन, जैसे कि तली हुई चीजें, चिप्स, आदि का सेवन पथरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
आयु और लिंग- 40 साल से अधिक उम्र में और महिला होना पथरी होने के खतरे को बढ़ाता है।
मोटापा- मोटापे से शरीर में अतिरिक्त वसा का संचय होता है, जिससे पित्त में गाढ़ापन आता है।
परिवार संबंधी कारण- यदि परिवार में किसी को पथरी रही हो तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है।

पथरी होने के प्रमुख लक्षण-
दर्द होना – पथरी के कारण तेज दर्द हो सकता है, जो पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में होता है और कभी-कभी पीठ या कंधे तक फैल सकता है।
पाचन में समस्या होना- गैस, पेट में भारीपन या अपच का अनुभव होगा।
विकृत मूत्र और दस्त- पथरी के कारण मूत्र का रंग गहरा पीला या भूरा हो सकता है और दस्त भी शुरू हो सकते हैं।
पीलिया होना – पथरी पित्त नलिका को अवरुद्ध कर सकती है, जिसके कारण त्वचा और आँखों का रंग पीला पड़ सकता है।

पथरी से बचने के उपाय और आहार
फाइबर का अधिक होना- ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज का सेवन करें। यह पाचन तंत्र को सही रखता है और पथरी बनने से बचाता है।
वसा का कम सेवन करना – तली हुई वस्तुओं, अधिक वसा वाले पदार्थों का सेवन कम करें।
पानी का ज्यादा सेवन- अधिक पानी पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और पित्ताशय में पथरी बनने की संभावना कम होती है।
योग और व्यायाम करें – नियमित रूप से हल्के व्यायाम, जैसे कि पैदल चलना, तैराकी, या योग करना पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और पथरी के जोखिम को कम करता है।
कुछ हर्बल उपचार
तुलसी का सेवन – तुलसी के पत्तों में पित्त को साफ करने की क्षमता होती है, जिससे पथरी का खतरा कम हो सकता है।
हल्दी का सेवन- हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पित्ताशय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
नींबू का सेवन- नींबू में मौजूद विटामिन C और एंटी ऑक्सिडेंट पथरी को टूटने से रोक सकते हैं।

जरुरी मेडिकल उपचार
दवाइयां- यदि पथरी छोटी हो, तो दवाइयों के जरिए उसे तोड़ा जा सकता है।
लिथोट्रिप्सी- यह एक तकनीक है जिसमें पथरी को तोड़ा जाता है ताकि वह शरीर से बाहर निकल सके।
सर्जरी- यदि पथरी बड़ी हो या गंभीर समस्या हो, तो पित्ताशय (Gallbladder) को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसे कोलेसिस्टेक्टोमी कहा जाता है।

पथरी को रोकने के उपाय
नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें ताकि वजन नियंत्रित रहे और पाचन तंत्र सही रहे। संतुलित आहार लें, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज शामिल हों।
वजन कम करें यदि आपका अधिक वजन है, तो धीरे-धीरे वजन घटाने की कोशिश करें। यदि आपको पथरी के लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा है, ताकि उपचार की सही दिशा तय की जा सके।